Saturday, December 11, 2010

तकदीर

कुछ लिख के मिटा दिया

ज़िन्दगी ने मेरी तकदीर से

कुछ मिटा के लिख दिया

फिर से हाथ की लकीरों में


एक कतरा आंसू

था शायद

जो समन्दर बन

बहा आँखों से



मेरे सपनो का एक

सुन्दर जहाँ डूबा जिसमे

पर

मैं न डूबी न ही तर कर

पार हुई जिससे



बस भवन्डर में

टूटी नाव सी

गोते ही खाती रही....

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