Thursday, May 8, 2008

मेरी चिठ्ठी माँ के नाम

माँ मै हर साल इस दिन तुम्हारे साथ होती हूँ
पर माफ़ करना इस बार न हो पाऊँगी
जानती हूँ ..थोडा नाराज़ तुम मुझसे जरुर हो
अब मै भी एक माँ हूँ
इस दुनिया में
अपने बच्चे की ख़ुशी के अलावा
कुछ ना सोचना
यह मैंने तुमसे ही तो सीखा है
और
ज़िन्दगी में जो कुछ मैंने तुमसे सीखा है
एक पीढ़ी आगे बढाया है
एक पीढ़ी आगे बढाया है
यह समझ ले आज तेरे नाती की नहीं
तेरी बेटी की भी परीक्षा है
जिस डाल को
अपने आसूं देके सींचा है तुमने
उसपे अब फल लगाने की तय्यारी है…….
बस थोड़े दिन की और इन्तेज़ारी है
तब तक तुम मेरी तस्वीर से काम चलाना
मैंने तो तुम्हारी तस्वीर
अपने दिल में सजा के रखी है
माँ…अब आगे न लिख पाऊँगी…
जानती हू…तुम मेरे शब्दों में
भी मेरे आँखों की नमी पढ़ लोगी
और तेरी आँखें नम हों
यह मुझे कभी पसंद नहीं…….

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