सदियों की उम्र लिए
बरगद के कुछ पेड़
वहीँ खड़े हैं
जहाँ
दुरी मिटाने मेरे शहर में
एक पुल बन रहा
धीरे धीरे एक आड़ी
चल रही उनके सीनों पर
और एक एक कर
वो तरक्की की बलि चढ़ रहे
शायद....
खुद को काट कर
नयी पीढी के लिए
रास्ता बनाना
हर पुराने
बरगद के नसीब है...
पुल तो बना था दुरी मिटाने
पर ये बुजर्ग बरगद अब
न मिलेंगे अपनी छाँव
नयी पीड़ी के पथिको को देने
शायद हर बुजर्ग बरगद
का नसीब फ़ैल कर कटना
होता होगा...
ये हमने भी आज जाना है....
Thursday, March 24, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment