सदियों की उम्र लिए
बरगद के कुछ पेड़
वहीँ खड़े हैं
जहाँ
दुरी मिटाने मेरे शहर में
एक पुल बन रहा
धीरे धीरे एक आड़ी
चल रही उनके सीनों पर
और एक एक कर
वो तरक्की की बलि चढ़ रहे
शायद....
खुद को काट कर
नयी पीढी के लिए
रास्ता बनाना
हर पुराने
बरगद के नसीब है...
पुल तो बना था दुरी मिटाने
पर ये बुजर्ग बरगद अब
न मिलेंगे अपनी छाँव
नयी पीड़ी के पथिको को देने
शायद हर बुजर्ग बरगद
का नसीब फ़ैल कर कटना
होता होगा...
ये हमने भी आज जाना है....
Thursday, March 24, 2011
Monday, March 21, 2011
तू तू मैं मैं
दो लफ्ज़ तेरे होंगे
दो मेरे
तीर बन दोनों के सीने छलनी होंगे
कुछ लहू तेरा बहेगा
बहुत कुछ मेरा
घायल दोनों होंगे
तुझे घायल देख सकूँ
ऐसी मुझ में ताकत नहीं
इसलिए तेरे तीर चुप चाप
सीने पर ले कर छलनी
कर दिया खुद को
न आने दी एक उफ़ होठो पर
या एक आंसू आँखों में
अनजान नहीं हम भी तेरी फितरत से
आज में ज़ख़्मी हूँ जो जिस्म से
कल तेरी रूह ज़ख़्मी होगी
और मेरे आँखों के समंदर
तेरी ही आँखों से बहेंगे
तब इन्ही तीरों से
सीने को और कुरेद कर
हम उन नमकीन मोतियों को
अपने सीने में पनाह देंगे...
दो मेरे
तीर बन दोनों के सीने छलनी होंगे
कुछ लहू तेरा बहेगा
बहुत कुछ मेरा
घायल दोनों होंगे
तुझे घायल देख सकूँ
ऐसी मुझ में ताकत नहीं
इसलिए तेरे तीर चुप चाप
सीने पर ले कर छलनी
कर दिया खुद को
न आने दी एक उफ़ होठो पर
या एक आंसू आँखों में
अनजान नहीं हम भी तेरी फितरत से
आज में ज़ख़्मी हूँ जो जिस्म से
कल तेरी रूह ज़ख़्मी होगी
और मेरे आँखों के समंदर
तेरी ही आँखों से बहेंगे
तब इन्ही तीरों से
सीने को और कुरेद कर
हम उन नमकीन मोतियों को
अपने सीने में पनाह देंगे...
Wednesday, March 9, 2011
कुछ क्षणिकाए
हाथो की लकीरों में लिखा एक नाम
आज हम मिटाना चाहते हैं
तुझे तेरी तकदीर को वापस लौटाना चाहते हैं
मिले तुझे मंजिल या नहीं..
हम तो बस तुझे साहिल पर लाना चाहते हैं...
2.
जाओ खंजर एक और ले आओ..
दिल के ज़ख्म अब मरहम से भरते नहीं
जाओ कोई पतझड़ ले आओ..
ज़िन्दगी अब बहारो से बहलती नहीं
3.
सुकून को चलो अब आराम थोडा दिया जाये
ज़िन्दगी से अब दो दो हाथ हो जाये...
4.
चुप रह कर भी कह जाती हैं
बातें कई हमारी ऑंखें
इसलिए हम
आजकल पलके मूंदे रहते हैं...
5.
बहुत तंग हैं दिल की वो गलियां
जिनसे होकर मेरी साँसे गुज़रती हैं
तुम अपने यादो की तस्वीर
कहीं और जाकर लगा दो
आज हम मिटाना चाहते हैं
तुझे तेरी तकदीर को वापस लौटाना चाहते हैं
मिले तुझे मंजिल या नहीं..
हम तो बस तुझे साहिल पर लाना चाहते हैं...
2.
जाओ खंजर एक और ले आओ..
दिल के ज़ख्म अब मरहम से भरते नहीं
जाओ कोई पतझड़ ले आओ..
ज़िन्दगी अब बहारो से बहलती नहीं
3.
सुकून को चलो अब आराम थोडा दिया जाये
ज़िन्दगी से अब दो दो हाथ हो जाये...
4.
चुप रह कर भी कह जाती हैं
बातें कई हमारी ऑंखें
इसलिए हम
आजकल पलके मूंदे रहते हैं...
5.
बहुत तंग हैं दिल की वो गलियां
जिनसे होकर मेरी साँसे गुज़रती हैं
तुम अपने यादो की तस्वीर
कहीं और जाकर लगा दो
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