Saturday, March 13, 2010

इनसे मिलिए

रात भी जब सन्नाटे के खर्राटे
मार चैन कि नींद सो रही थी
ऐसी सर्द रातों में
दबे पाँव तुम क्यूँ चले आते जारी
और आते ही मेरी शांत सी
दिल कि ज़मीन पे भूचाल ला देते हो
कुछ साँसे यहाँ कुछ वहां
गिरा कर मुझे बेकाबू कर देते हो
देखो इतना न झ्क्ड़ो
की मेरा दम निकल जाये
थोडा खुद को भी संभालो
और मुझे भी थोडा संभलने दो
बहुत हुआ अब
इससे पहले की कोई और जग जाये
यहाँ से चुपके से निकल जाओ


ओहोहो...
आप सब पढने वाले क्या समझे..
अरे रे रे
इनसे मेरा इश्क पुराना है
मैं इनकी परमानेंट पेशेंट
और ये मेरे आशिक दमा (अस्थमा) है

Friday, March 5, 2010

दल दल पर रिश्ते

सुना है
कई जगह पढ़ा भी है
मेरा देश दुनिया का
सबसे युवा देश बना है
इस देश कि ये युवा पीढ़ी
सफलता के नए आकाश
छूती ये सीढ़ी
कभी सीधी चलती
कभी चलती चाल टेढ़ी
हर रंग
हर ढंग में हमें मंजूर है
पर फिर भी कुछ
कहने को आज हम मजबूर है
रिश्ते के मामले में
ये पीढ़ी
चल रही आजकल सांप सी चाल टेढ़ी
इस देश की
एक नीति एक नियति है
एक मानता है
कुछ रिश्ते यहाँ जन्मोज्न्मंतर
निभाए जाते हैं
पर आजकल इन युवाओं के
रिश्ते पल भर में
जमीन पर बंध तो जाते हैं
पर
स्वर्ग का अहसास कराने से पहले
ही रिश्ते खुद
स्वर्गवासी हो जाते हैं

बस आज इतना इनसे कहना चाहते हैं
कुछ रिश्ते
हमारी अनूठी , अनमोल और अतुल्य सभ्यता की
पहचान हैं
उनकी नींव ठोस जमीन पर
बिछती है
कसी दल दल पर नहीं.
कसी दल दल पर नहीं.




कसी दल दल पर नहीं.