Saturday, February 14, 2009

मेरा जवाब

जब मौत की दस्तक मेरे दरवाज़े होगी
जींदगी के लिए क़यामत
मेरे लीए खुदा की नेमत होगी
...क्यूँ की उस दीन मेरी उस खुदा से मुलाक़ात होगी ...
सुना है ...
तब खुदा हर बंदे से एक सवाल पूछता है .........
" मेरी दी जींदगी कैसे बीतायी "
सोच रहे हम तब उसे कयाँ जवाब देंगे
जींदगी का कोई लेखा तो रखा नही
खुदा को क्या हिसाब देंगे
...बस येही कहेंगे ....
" जीमेदारी की सेज पे
सलवटों में लिपटी मिली थी
जींदगी .....................
इस की सतहें सीधी
करने में हमने सारी उम्र खर्च कर दी ..."

1 comment:

  1. wht a comparision of lifes problem with chadar k salwate

    dekha jaaye to inssan inee mein ulja apni zindagi beeta deta hai

    hatts off to u chetna ji...

    ReplyDelete