Tuesday, August 26, 2008

अपनी स्मित बनाये रखना

दिल की ज़मीन पर
जब जब भी अहसासों के ज़लज़ले आते हैं
आंसुओं के समुन्द्र में एक सुनामी सी लाते हैं
तब
हर लहर उछालने लगती है
आँखों के किनारे तोड़ बहने लगती है
और
राह में आती हर मुस्कान तबाह कर देती है ……

इन अहसासों के ज़लज़ले से बचना
किसी के लिए अपनी मुस्कान तबाह न करना
माना
… उसकी की याद में …
ज़िन्दगी दोज़ख बन जायेगी …
।तुम बस अपनी लाश के हाथ में
उम्मीद के झंडे संभाले रखना …
॥जबरन ही सही …
होठों की स्मित बचाए रखना ......

1 comment:

  1. इन अहसासों के ज़लज़ले से बचना
    किसी के लिए अपनी मुस्कान तबाह न करना
    माना
    … उसकी की याद में …
    ज़िन्दगी दोज़ख बन जायेगी …
    ।तुम बस अपनी लाश के हाथ में
    उम्मीद के झंडे संभाले रखना …
    kya baat hai bhut hi sundar. likhti rhe.

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