Monday, March 26, 2012

सावन आये तो तू भी आ जाना

सावन आये तो तू भी आ जाना
मन के आँगन की फुलवाड़ी से
दो फूल तोड़ लाना
सजा देना उसे मेरे बालो में
और दो मीठी बाते बोल लेना

धीरे से फिर दिल की दराज़ खोलना
उनमे कुछ ख्वाब बुने रखते थे हम कभी
उन मखमली ख्वाबो को तू
ज़रा अपनी आँखों से भी छू लेना.....

फिर हलके से रूह में उतर कर
तू मुझे इस दुनिया से दूर कहीं
उस जगह ले चलना
जहाँ से लौट के कोई सदा नहीं आती कभी

हर फागन में यही गुहार तुझसे लगते हैं
प्रेम का पुराना आलाप सुनाते हैं
ये आखिरी बार गुहार करते हैं
हर बार की तरह
नैनों को मेघो समझ न बरसाना .
सावन आये तो तू भी आ ही जाना...

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