रात भर चाँद पिघलता रहा
हम बूँद बूँद चान्दिनी
अपने चांदी की परात में
इकठा करते रहे
अपनी सर्द आहों की देकर हवा
उसे परत भर परत जमाते रहे
जब चाँद पूरी तरह जम गया
तब फिर से उसे
….अपने प्यार के धागों
से खेंच कर फलक पर लटकाया
और घूरते रहे …अपनी कोशिश पे गरूर खाते रहे
Wednesday, June 25, 2008
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bhut sundar bhav v bhut sundar rachana.likhate rhe.
ReplyDeleteaap apna word verification hata le taki humko tipani dene mei aasani ho.