दिल की ज़मीन पर
जब जब भी अहसासों के ज़लज़ले आते हैं
आंसुओं के समुन्द्र में एक सुनामी सी लाते हैं
तब
हर लहर उछालने लगती है
आँखों के किनारे तोड़ बहने लगती है
और
राह में आती हर मुस्कान तबाह कर देती है ……
इन अहसासों के ज़लज़ले से बचना
किसी के लिए अपनी मुस्कान तबाह न करना
माना
… उसकी की याद में …
ज़िन्दगी दोज़ख बन जायेगी …
।तुम बस अपनी लाश के हाथ में
उम्मीद के झंडे संभाले रखना …
॥जबरन ही सही …
होठों की स्मित बचाए रखना ......
Tuesday, August 26, 2008
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