रात भर चाँद पिघलता रहा
हम बूँद बूँद चान्दिनी
अपने चांदी की परात में
इकठा करते रहे
अपनी सर्द आहों की देकर हवा
उसे परत भर परत जमाते रहे
जब चाँद पूरी तरह जम गया
तब फिर से उसे
….अपने प्यार के धागों
से खेंच कर फलक पर लटकाया
और घूरते रहे …अपनी कोशिश पे गरूर खाते रहे
Wednesday, June 25, 2008
Wednesday, June 4, 2008
यादों के हीरे
कभी था जो महल
मेरा वो आलीशान दिल
अब खंडहर बन चुका
प्यार के पन्ने
मोहब्बत के मोती
जिसे जो मिला लूट चुका ….
बस तेरी याद के कुछ हीरे
बचे है
जो एक तहखाने में
बड़ी हिफाज्जत से
सम्भाल्के हमने रखे हैं ….
वादा है ये तुमसे
इन्हें लुटने न देंगे…...
दीवारें डेह भी जाये तो क्या
इस दिल के दरवाज़े
अब किसी के लिए न खुलेंगे …………
मेरा वो आलीशान दिल
अब खंडहर बन चुका
प्यार के पन्ने
मोहब्बत के मोती
जिसे जो मिला लूट चुका ….
बस तेरी याद के कुछ हीरे
बचे है
जो एक तहखाने में
बड़ी हिफाज्जत से
सम्भाल्के हमने रखे हैं ….
वादा है ये तुमसे
इन्हें लुटने न देंगे…...
दीवारें डेह भी जाये तो क्या
इस दिल के दरवाज़े
अब किसी के लिए न खुलेंगे …………
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