Tuesday, December 27, 2011

meri chhoti kavitaye

1.
कुछ ख्वाब देख कर

हैरान थी ऑंखें उनकी

शायद सपने में
कोई आके उन्हें
आइना दिखा गया..


2.
कुछ गीले सपने

टूटे से बिखरे थे

उसके आंगन में

शायद सूखी आँखों में

कुछ आंसू और बचे थे. ...............

3.
ऐ दिल कहा था

न रोना इतना

ये जमीन गीली न करना

देख..

कितने सपने फिसल के गिरे है यहाँ.

4.
वो देखो दूर खडी मौत
मुझे देख कहकहे लगा रही
और अपनी ठिठोली भरे
अंदाज़ में पूछ रही

इन्सान बनके जन्मे हो....
इन्सान बन कर मर भी पाओगे......?????????????

5.
चुप रह कर भी कह जाती हैं

बातें कई हमारी ऑंखें

इसलिए हम

आजकल पलके मूंदे रहते हैं..

6.
बहुत तंग हैं दिल की वो गलियां

जिनसे होकर मेरी साँसे गुज़रती हैं

तुम अपने यादो की तस्वीर

कहीं और जाकर लगा दो