दिल के अरमानो को सीने से बाहर निकालो
शहर कि गलिया तंग हैं...
इन्हें खुली हवा थोड़ी खिला दो
लाख जफ्फा करे दुनिया तो क्या
रंझो ग़म को तुम अपना गुलाम बना दो
मुस्कराने कि सजा हर पल मिलेगी
मगर फिर भी तुम उसे अपना ईमान बना दो
बदल दो मायने खुदाई के अपने वास्ते
बस खुद से एक बार अपनी पहचान बना दो
Friday, October 7, 2011
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