Sunday, May 31, 2009

विदाई

हाथों में मेहँदी
मांग भरा सिन्दूर
सुर्ख लाल जोड़े में सजा तन
नख से शिख तक
सजी दुल्हन

न दिल बेकरार
न आंख में नमी
न शरमाई
न संकुचाई
न हवा में उड़ता घुंघट संभालती
ये आज की कैसी दुल्हन

न मुड कर देखा बाबुल
न सहेलियों के गले लगी
न माँ से लिपटकर रोई
वो तो बस
चुपचाप
चेहरे पे असीम शांति ओढे
……
……
……
……
…...
……
……
अर्थी पे चिर -निंद्रा में चली
ये तेरी कैसी विदाई दुल्हन …??????

Sunday, May 17, 2009

आपस की बात

आपस की बात है
बंद ज़ुबानो में कहो
...................
बात निकलेगी तो
बहुत दूर तलक जायेगी
परत दर परत
हर मुर्दा अफसाने की
कब्र खुल जायेगी
बाहर जो आये ये मुर्दे तो
इनके बढ़ते नाखुनो से
हर राज़ की खाल छिल जायेगी
और नंगी सचाई
खुद को कहीं
छुपा भी न पायेगी
वक़्त रहते चलो संभल जाते है
और इन कब्रों पर
थोडी ताजी माटी डालकर
इन मुर्दों के लिए एक
बार फिर फातेहा पढ़
एक दूजे से खुदा -हाफिज़ कर
अपनी अपनी चुनी राह पर
आगे बढ़ते हैं

yeh duniya

Mukhauto pe mukhaute lagati
Chalti ye duniya
Ek duje ko muft me chhalti ye duniya
Jhuth ko sach
Aur sach ko jhuth me badlti ye duniya
Tan ki chandi ko chamkati
Aur man ke sone ko pighlati ye duniya
Bar bar itihas dohrati ye duniya
Is duniya me chetna kahin nahi
Pal pal pathar barsati ye duniya.

Tujhe jeena hai to seekh le
dhuri pe ulti kaise chalti ye duniya
warna bemaut marna padega
aur do gaj kaffan bhi naseeb hone na degi
aisi hai ye zalim duniya…..